त्रिपुरा में पूरे जोर शोर से चल रहा चुनाव प्रचार शुक्रवार को खत्म हो गया. त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव के लिए 18 फरवरी को वोट डाले जाएंगे.
अगरतला : त्रिपुरा में पूरे जोर शोर से चल रहा चुनाव प्रचार शुक्रवार को खत्म हो गया. त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव के लिए 18 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. राज्य में अब तक असफलता का स्वाद चखने वाली भाजपा ने वाम दल के इस गढ़ में उसके 25 साल के शासन को खत्म करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है. त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह जैसे भाजपा के दिग्गजों ने प्रचार किया. हालांकि, राज्य में अब तक वाम मोर्चा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला देखा गया है. लेकिन इस बार कांग्रेस का चुनाव प्रचार उतना आक्रामक नहीं रहा. पार्टी प्रमुख राहुल गांधी ने प्रचार के अंतिम दिन चुनावी रैलियों को संबोधित किया.
कड़ा मुकाबला
राज्य के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने भी कहा कि 18 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला माकपा और भाजपा के बीच होने जा रहा है. त्रिपुरा में जहां लेफ्ट की सरकार है, वहीं, मेघालय में कांग्रेस सत्ता में है, जबकि नागा पीपुल्स फ्रंट-लीड डेमोक्रेटिक गठबंधन नागालैंड में सत्तासीन है. डेमोक्रेटिक गठबंधन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा समर्थित है.
18 फरवरी को मतदान, 3 मार्च को मतगणना
त्रिपुरा की आबादी 37 लाख है, जिनमें मतदाताओं की संख्या करीब 25 लाख है. 2013 विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ माकपा को 48.11 फीसदी वोट मिले थे. माकपा ने 60 में से 49 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस को 36.53 फीसदी वोट मिले थे और उसने 10 सीटों पर कब्जा किया था. 1 सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की जीत हुई थी.
इस चुनाव में 60 सीटों पर कुल 297 प्रत्याशी मैदान में हैं. बीजेपी ने 51 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, कांग्रेस ने 59 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि वामदल ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. मतदान 18 फरवरी को होगा जबकि मतगणना 3 मार्च को होगी.
बीजेपी ने लगाई पूरी ताकत
पूर्वोत्तर राज्यों में पैर पसारने के लिए बीजेपी ने इस विधानसभा चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. त्रिपुरा की राजनीति पर पैनी निगाह रखने वाले राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि इस चुनाव के नतीजे अप्रत्याशित हो सकते हैं. पिछले दो दशकों से प्रदेश की कमान संभाल रहे मुख्यमंत्री माणिक सरकार को भी इस चुनाव में बीजेपी से कड़ी चुनौती मिल रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि संघ और बीजेपी के कार्यकर्ता पिछले कुछ समय से जमीनी स्तर पर प्रचार में जुटे हुए हैं. घर-घर जाकर मतदाताओं से मुलाकात की जा रही है, उनसे बात की जा रही है. बीजेपी को इस रणनीति का फायदा मिलेगा और माकपा को नुकसान पहुंच सकता है.